Namaskar
a blog by o p rathore
Friday, November 29, 2024
Saturday, November 9, 2024
Gaanv Mera
वो जो नजर आते हैं क्षितिज पर
और धुंध में खो जाते हैं
वही हैं मेरे गांव के लोग
उन्हीं के वहां से आया हूं मैं
वहीं उदासीन मोहल्ले में मेरा घर पड़ता है
Wednesday, March 30, 2022
Friday, December 24, 2021
Jaada
ओढ़ के कंबल ज़िद का जब नहीं होता गुजारा
तो एक चादर अधूरे ख्वाबों की भी ढांप लेता हूं
लगता है जाड़ा अकेलेपन का जब भी
तेरी मगरूर यादों की तपिश ताप लेता हूं।
- ओपियम
Tuesday, June 8, 2021
Sawaal
सब पूछते हैं मुझसे..
Friday, May 14, 2021
Wednesday, March 17, 2021
उपलब्धि
झील किनारे बैठ कर
नन्हे कंकर हाथ लिए
बैठना एकाकी सांझ में
कंकर से आंदोलित जल में
खुद के अक्स को देख पाना
ये मेरी बड़ी उपलब्धि है ।
दूरियों की महफिल
अनदेखियो का नजराना
पीछे से कोई नहीं आएगा
इस भाव से निश्चित तट पर
बैठ एकाकी मुस्काना
मेरी बड़ी उपलब्धि है।
झील सांझ पानी और कंकर
उर्वर धरा पर
बंजर मन से एक
टूटी टहनी से खोद जरा सा
कंचे का पिल सा बनाना
और कंचे बिन खेल निभाना
यह मेरी उपलब्धि है ।
अरुण रंग में रंगा तेल चित्र
आसमान के कैनवस पर
बूढ़े बादल की ठिठोली में
अर्ध शतक की गोधूलि में
वही कुमार आयु सम
छवि नित नई उकेर पाना
यह मेरी उपलब्धि है।
बैठे-बैठे बिन उकताए
लंबे देख रात के साए
बिना प्रहर गिन
अपने जीवन पथ पर
निश्चल हो वापस मेरा
घर दिशा में मुड़ आना
यह मेरी उपलब्धि है।
आकर उसी रंगमंच से
जीवन की शतरंज पटृ पर
फिर प्यादे सम होकर
सहज भाव से सम हो जाना
यह मेरी उपलब्धि है
यह मेरी उपलब्धि है।