Monday, March 17, 2025

 


शब्द, शब्दावली के

मोहताज हो के जब

छटपटाते हैं

वो आंसू बनके

छलक जाते हैं


Saturday, February 8, 2025

ख़ुदाई


वो चाहे तो क्या मुझे ख़ुश नहीं कर सकता ॽ

उसे पता है ख़ुश लोग उससे छूट जाते हैं 

सरपरस्ती में रहने वाले भी तो ख़ुश रहते हैं।

Hymns for him



Friday, November 29, 2024


खबर ये है के अब हम खबर नहीं पढ़ते
कोई चढ़ाये झाड़ पे जितना हम नहीं चढ़ते
ग़लतियां करते हैं शौक से अब शर्म से नहीं गड़ते
पहले हर बात पे लड़ जाते थे
अब किसी बात पे नहीं लड़ते
अपने ग़म में ग़ुम होते हैं
कोई चाँद पे जा बैठे तो भी नहीं सड़ते
गंजों से हो गए हैं हम अब फर्क नहीं पड़ता
बाल झड़ते हैं कि नहीं झड़ते
खबर ये है के अब हम खबर नहीं पढ़ते

Saturday, November 9, 2024

Gaanv Mera


वो जो नजर आते हैं क्षितिज पर

और धुंध में खो जाते हैं

वही हैं मेरे गांव के लोग 

उन्हीं के वहां से आया हूं मैं 

वहीं उदासीन मोहल्ले में मेरा घर पड़ता है

Wednesday, March 30, 2022

Baat

 


जो बात पी गया था मैं

वही बात खा रही है मुझे।


Friday, December 24, 2021

Jaada


 ओढ़ के कंबल ज़िद का जब नहीं होता गुजारा

तो एक चादर अधूरे ख्वाबों की भी ढांप लेता हूं 

लगता है जाड़ा  अकेलेपन का  जब भी 

तेरी  मगरूर यादों की तपिश ताप लेता हूं। 


- ओपियम

Tuesday, June 8, 2021

Sawaal


 

  

सब पूछते हैं मुझसे..

मैं उतना कामयाब क्यों नहीं 
जितना हो सकता था
मैं नहीं रोया उन बातों पर
जिन पर रो सकता था 
किस्मत की खा रहा हूं शायद 
जितना पाया उससे ज्यादा 
खो सकता था 
 इतना भी काफी है
 इतना ही हो सकता था..