Friday, April 18, 2025

 



रात का इंतज़ार दिन से मिलने को 

अंधेरों से होकर गुज़रता है 

दुश्वारियों से बीतता है 

तब जो मेल होता है रात से दिन का 

उसे हम सुबह कहते हैं।  

दोपहर को भी रात की हसरत होती है
 
मिलने की कसक रहती है 

वो गुज़रता है उजालों से 

अहम् अधिकारों के जालों से 

इस दिन और रात के मिलाप को हम 

शाम कहते हैं।  

मुलाकातों में कितना फ़र्क़ आ जाता है 

उन रास्तों की वजह से जिनसे हम गुज़रते हैं
 
ये हम ही तय करते हैं की रिश्ते 

ताज़ा दम संवरते हैं या मुरझा के बिखरते हैं।  

Tuesday, April 8, 2025

बैल

कभी तुमने सर नहीं लगाया कंधे से मेरे

जब हम जा रहे थे मैं ड्राइव करता था

आज समझ आई वजह

तुम ढूंढ नहीं पाई प्रेमी मुझमें 

मैं पति बना रहा

बैल बना रहा गृहस्थी के हल का

जिंदगी प्रेमी को चाहती है मगर ब्याहती पति से है 

यह विसंगति जी है तुमने हमने ।

Monday, March 17, 2025

 


शब्द, शब्दावली के

मोहताज हो के जब

छटपटाते हैं

वो आंसू बनके

छलक जाते हैं


Saturday, February 8, 2025

ख़ुदाई


वो चाहे तो क्या मुझे ख़ुश नहीं कर सकता ॽ

उसे पता है ख़ुश लोग उससे छूट जाते हैं 

सरपरस्ती में रहने वाले भी तो ख़ुश रहते हैं।

Hymns for him



Friday, November 29, 2024


खबर ये है के अब हम खबर नहीं पढ़ते
कोई चढ़ाये झाड़ पे जितना हम नहीं चढ़ते
ग़लतियां करते हैं शौक से अब शर्म से नहीं गड़ते
पहले हर बात पे लड़ जाते थे
अब किसी बात पे नहीं लड़ते
अपने ग़म में ग़ुम होते हैं
कोई चाँद पे जा बैठे तो भी नहीं सड़ते
गंजों से हो गए हैं हम अब फर्क नहीं पड़ता
बाल झड़ते हैं कि नहीं झड़ते
खबर ये है के अब हम खबर नहीं पढ़ते

Saturday, November 9, 2024

Gaanv Mera


वो जो नजर आते हैं क्षितिज पर

और धुंध में खो जाते हैं

वही हैं मेरे गांव के लोग 

उन्हीं के वहां से आया हूं मैं 

वहीं उदासीन मोहल्ले में मेरा घर पड़ता है

Wednesday, March 30, 2022

Baat

 


जो बात पी गया था मैं

वही बात खा रही है मुझे।