कोई चढ़ाये झाड़ पे जितना हम नहीं चढ़ते
ग़लतियां करते हैं शौक से अब शर्म से नहीं गड़ते
पहले हर बात पे लड़ जाते थे
अब किसी बात पे नहीं लड़ते
कोई चाँद पे जा बैठे तो भी नहीं सड़ते
गंजों से हो गए हैं हम अब फर्क नहीं पड़ता
बाल झड़ते हैं कि नहीं झड़ते
खबर ये है के अब हम खबर नहीं पढ़ते
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