जो किये थे नज़रों से चुपचाप
वो सारे सवाल वापस चाहिए
किये थे लड़ कर जो घर में मैंने
मुझको वो सारे बवाल वापस चाहिए
पाने को तुम्हे इस जिद्दी ज़माने से
उठाये थे हंस के जो जंजाल वापस चाहिए
तुमसे मिलने से पहले कहते है
खुश रहता था मैं
मुझे वो ही साबुत चेहरा,
खुशहाल वापस चाहिए
जाने से पहले
कुछ कहना नहीं है तुमसे
मेरी बात न मेरा ज़िक्र,
दिल में बचा है जो
उतना भी ख्याल वापस चहिये.
खुला है दरवाज़ा ..जाइये चले जाईए
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