Saturday, March 9, 2013

bavaal


जो किये थे नज़रों से चुपचाप 
वो सारे  सवाल वापस चाहिए 
किये थे  लड़ कर  जो घर में मैंने 
मुझको वो सारे  बवाल वापस चाहिए 
पाने को तुम्हे इस जिद्दी ज़माने से 
उठाये थे हंस के जो जंजाल वापस चाहिए 
तुमसे मिलने से पहले कहते है
खुश रहता था मैं 
मुझे वो ही साबुत चेहरा,
खुशहाल वापस चाहिए 
जाने से पहले 
कुछ कहना नहीं है तुमसे 
मेरी बात न मेरा ज़िक्र,
दिल में बचा है जो 
उतना भी ख्याल वापस चहिये. 
खुला है दरवाज़ा ..जाइये चले जाईए 

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