Tuesday, February 19, 2013

raahat

वो हंसी वो  मुस्कुराहटें 
ढक कर रखी  थी उनमे
सब की सब घबराहटें 
आसमान पे नज़र 
ज़मीन पे पाँव .. 
जानता  है दिल के 
झूठी हैं 
सब की सब चाहतें...
उनसे मिले फिर बिछड़ गए 
यादों में ही मिलीं  फिर 
जी भर के राहतें  
जी भर के राहतें .....

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