वो हंसी वो मुस्कुराहटें
ढक कर रखी थी उनमे
ढक कर रखी थी उनमे
सब की सब घबराहटें
आसमान पे नज़र
ज़मीन पे पाँव ..
जानता है दिल के
झूठी हैं
सब की सब चाहतें...
उनसे मिले फिर बिछड़ गए
यादों में ही मिलीं फिर
जी भर के राहतें
जी भर के राहतें .....
No comments:
Post a Comment