Monday, March 11, 2013

sapne


सांस  नदी है 
तो मौत समंदर क्यों है 
मेरे सपने 
मेरे पसीने से महंगे  क्यों हैं 
चलती नहीं मेरी इक भी मुझ पर, 
दिल पर खुद की 
ये कमज़ोर  हुकूमत क्यूं है 

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