Wednesday, March 17, 2021

उपलब्धि

 झील किनारे बैठ कर 

नन्हे कंकर हाथ लिए

बैठना एकाकी सांझ में 

कंकर से आंदोलित जल में 

खुद के अक्स को देख पाना 

ये मेरी बड़ी उपलब्धि है ।

दूरियों की महफिल 

अनदेखियो का नजराना 

पीछे से कोई नहीं आएगा

इस भाव से निश्चित तट पर

बैठ एकाकी मुस्काना

मेरी बड़ी उपलब्धि है।

झील सांझ पानी और कंकर

उर्वर धरा पर 

बंजर मन से एक

टूटी टहनी से खोद जरा सा 

कंचे का  पिल सा बनाना 

और कंचे बिन खेल निभाना 

यह मेरी उपलब्धि है ।

अरुण रंग में रंगा तेल चित्र

आसमान के कैनवस पर

बूढ़े बादल की ठिठोली में 

अर्ध शतक की गोधूलि में 

वही कुमार आयु सम 

छवि नित नई उकेर पाना 

यह मेरी उपलब्धि है।

बैठे-बैठे बिन उकताए

लंबे देख रात के साए

बिना प्रहर गिन

अपने जीवन पथ पर 

निश्चल हो वापस मेरा

घर दिशा में मुड़ आना

 यह मेरी उपलब्धि है।

 आकर उसी रंगमंच से 

जीवन की शतरंज पटृ पर

 फिर प्यादे सम होकर 

सहज भाव से सम हो जाना 

यह मेरी उपलब्धि है 

यह मेरी उपलब्धि है।

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