Monday, December 28, 2015

तुम मुझे याद रखो या भूल जाओ मर्ज़ी तुम्हारी 

मैं हातिमताई का किस्सा नहीं हूँ 


रहता हूँ गर्दिश ए ज़माने में मगर इस भीड़ का हिस्सा नहीं हूँ 


~ ओपियम

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