Sunday, December 27, 2015

शहर में सबसे रहती है दुआ सलाम मेरी 
वो जो गुज़रा अभी रहगुज़र से मेरी
उसने मेरा एहतराम न किया  
वो आदमी था काम का उसने मेरा सलाम न लिया ~OP

No comments: