जाने किस से क्या क्या कहता चला गया
वक़्त की नाव पे बहता चला गया
खुश रहने की खातिर दुःख सहता चला गया
इस तरह जिया के जैसे मौत न आएगी
और जब मरा तो किसी ने पूछा नहीं
ज़िंदा है के चला गया
ज़िन्दगी को समझना इतना भी कठिन नहीं
इसके हाथों जितना समझदार बना वो उतना छला गया
समेट लो इस पल में सारा अस्तित्व तो ये जीवन है
वर्ना सोचते रह जाओगे कितना हसीं पल था चला गया
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