Sunday, September 28, 2014


अपनी बात निराली है 
कल तो प्याला भी  न था 
अब मिला तो वो भी खाली है 
कल तक पैसा हाथ नहीं था 
आज मिला तो पक्का  जाली है 
उस हाथ ने तोड़ी हैं कलियाँ 
जो लगा हमें कि  माली है 
अपनी बात निराली है 
हमने दिए बुझाए जिस दिन 
शहर में उस रोज़ मनी  दिवाली है 
अपनी बात निराली है 
हतप्रभ भौचक हैं अनुवाद जानकर   
जो तारीफ लगी वो गाली है 
अपनी बात निराली है 
अपने से जब न रुदन हुआ 
कष्ट कहने को भाड़े पर रखी रुदाली है 
अपनी बात निराली है 
अपनी बात निराली है 

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