Sunday, August 3, 2014

सपना , ख्वाब के लिफाफे में रख के 
किस्मत का लगाके  डाक टिकेट 
डाल दिया है कर्म के डब्बे में। 
सरकारी चिठियों की तरह 
अब ये भटकेगा और खो जायेगा 
और मैं देखता रहूंगा राह 
सोचूंगा 
शायद जवाब आज आएगा 

No comments: