उस पेड़ के नीचे
उस पहाड़ तले
तेरी यादों का सावन
छोड़ आया हूँ
जो तेरा बनके रहता
है कलेजे में मेरे
उस विभीषण की
बांह मरोड़ आया हूँ
परछाइयों की तरह अब मत चलना
मेरे साथ
मैंने अँधेरा खरीदा है
कांच रौशनी का फोड़ आया हूँ
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