इंसान क्या है
मेरे होने कि खबर है
जहां रहता है मै
ये उस घर का पता है
इसके बग़ैर दरिया है ये
जीवन जो सागर से मिलने
चला है
हर डगर एक राह है
जहां तक चलने का दिल है
चलते जाओ
परेशानियों की नौटंकी के पर्दे
में इस दुनिया से दिल लगाओ
शाम चली आएगी दोपहर की ओट से
अगली करवट रात होगी
सो जाओ
धुंध से आये थे कोहरे मे खो जाओ
मैं की महकशी
न मेरे होने का सुकूं
देखना मुझे वहाँ
जहां मैं सबमे दिखूं
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