Wednesday, April 30, 2014

इंसान क्या  है 
मेरे होने कि खबर है 
जहां रहता है मै 

ये उस घर का  पता है 
इसके बग़ैर दरिया है ये 
जीवन जो सागर से मिलने 
चला है 
हर डगर एक राह है 
जहां तक चलने का दिल है 
चलते जाओ 
परेशानियों की नौटंकी के पर्दे 
में इस दुनिया से दिल लगाओ 
शाम चली आएगी दोपहर की ओट से 
अगली करवट रात होगी 
सो जाओ 
धुंध से आये थे कोहरे मे खो जाओ 
मैं की महकशी 
न मेरे होने का सुकूं 
देखना मुझे वहाँ 
जहां मैं सबमे दिखूं 

No comments: