Friday, September 14, 2012

Hasti

 इतना झूठ जिया है मैंने
इतना सच भी देखा है
सपनों को जीते जीते
सच्चाई सो लेता हूँ
हँसता हूँ दुखती बातों पर
हंसने वाली बात पे रो लेता हूँ
दाग मिले हैं हस्ती पे जो
इन आँखों से धो लेता हूँ
किंचित मन पर छाये हसरत
एकाकीपन में हो लेता हूँ
बहुत दिया बस दिया दिया
बदले में क्या मिला 
रिक्तता, देख
खुश हो लेता हूँ. 

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