इतना झूठ जिया है मैंने
इतना सच भी देखा है
सपनों को जीते जीते
सच्चाई सो लेता हूँ
हँसता हूँ दुखती बातों पर
हंसने वाली बात पे रो लेता हूँ
दाग मिले हैं हस्ती पे जो
इन आँखों से धो लेता हूँ
किंचित मन पर छाये हसरत
एकाकीपन में हो लेता हूँ
बहुत दिया बस दिया दिया
बदले में क्या मिला
रिक्तता, देख
खुश हो लेता हूँ.
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