अपनी मुश्किल औरों को बताएं कैसे
मुस्कुराना मजबूरी कम है, है सितम ज्यादा
दिल की आंधी को छुपायें कैसे
गिरे तो चोट लगी बहुत जोर से हमको
रश्क करने वालों को खुद पे हसाएं कैसे
अपनों में कौन है असल में अपना
मिटटी की इन आँखों से समझ पाएं कैसे
इस मोड़ पर गिरे हैं पड़े हैं धूल में
गिरना फिर होगा संभलते जायें कैसे
सिर्फ सिक्के हैं महज़ वो भी चाँदी के कुछ सोने के
मोहब्बत ज़रा भी नहीं
करना चाहें कुछ वसीयत को कर जायें कैसे
वो कोना नहीं मिला
जहां छुप के सिसक ले हम
आँख लाल पलकें गीली
कोई पूछ ले तो उसको सबब बताएं कैसे
ऐ ज़िन्दगी-- जिंदा हैं बस यही काफी है
मरके फिर आयेंगे मालूम नहीं
ख्वाहिश भी नहीं
तुझको बताएं कैसे
अरमानो की फेहरिस्त तो फूँक दी
जिंदा रहने की हवस
बोलो जलाएं कैसे
मिल जाये ये ख़त जो किसी को
हंस देना , तुम्ही काफी हो हंसने के लिए
होंठ बोझिल हैं कहो मुस्कुराये कैसे
ख़ामोशी ओढ़ी है इस बातूनी दिल पर
खामोश ही रह जायेंगे लम्बी सोके
सांसों का शोर काफी है
बड़बड़ाएं कैसे ?
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