
मुझे दोस्ती की फिकर नहीं
मुझे दोस्ती से कुछ मिला नहीं
जो हंस के मिला वो अपना हुआ
जो मिल के हंसा वो अपना रहा
मेरे अश्कों की जिसे फिकर नहीं
जो रोया नहीं मिलकर मुझे
के मैं जानता हूँ जैसे वो जानता है
अश्क बांटे नहीं जाते...
मुस्कराहट बंटती है...
बस वही अपना हुआ... कभी दोस्त नहीं...
के दोस्ती एहसास है.. नाम नहीं
मेरे लिए उसके लिए भी.
उस एहसास को सलाम...
1 comment:
Different perception of friendship !
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