Tuesday, September 20, 2011


मुझे दोस्ती की फिकर नहीं
मुझे दोस्ती से कुछ मिला नहीं
जो हंस के मिला वो अपना हुआ
जो मिल के हंसा वो अपना रहा
मेरे अश्कों की जिसे फिकर नहीं
जो रोया नहीं मिलकर मुझे
के मैं जानता हूँ जैसे वो जानता है
अश्क बांटे नहीं जाते...
मुस्कराहट बंटती है...
बस वही अपना हुआ... कभी दोस्त नहीं...
के दोस्ती एहसास है.. नाम नहीं
मेरे लिए उसके लिए भी.

उस एहसास को सलाम...

1 comment:

Geeta said...

Different perception of friendship !