विचार आते थे
कभी दो दो
कभी चार चार आते थे
कभी चलके आते थे
कभी कहार लाते थे
कभी मुरझाये फूल
कभी बहार लाते थे
अब नहीं आते हैं
अब दिल दिमाग के
दरवाज़े पे लिख दिया है
नहीं रहता अब यहाँ कोई
अब नहीं उम्मीद की फसल बोई
अब मन के खेत खाली पड़े हैं
अवचेतन में जाने कितने वीराने
पड़े हैं.
अवचेतन में जाने कितने वीराने
पड़े हैं...
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