Tuesday, May 1, 2018


न तुम्हारे  आने से चलती है ज़िन्दगी 

न तुम्हारे जाने से रुकता है कारवां 
न इस पार तुम हो न उस पार तुम हो 
नज़र से ओझल हो जाओ तो गुम हो 
खुद में उलझों को कहाँ कुछ नज़र आता है 
ये वक़्त का दरिया बहता ही  चला जाता है 

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