मेरे ग़म मेरी खुशियां
एक सोच हैं
और सोच का क्या
जब देखो मन में उमड़ घुमड़
आ जाती हैं
मेरी नींद की मुंडेर पर उगी बाड़
तेरी यादों की बकरी
कुछ खा जाती है
मैं भूलूँ या याद रखूँ
इसकी मेरे अंतर्मन को खबर नहीं
जैसे पड़ोसन न चाहो
गप्पों का गुच्छा सुना जाती है
ऐसे ही याद तेरी इक आ जाती है
मन को बहका जाती है। #opium
No comments:
Post a Comment