Sunday, January 7, 2018

मेरे ग़म मेरी खुशियां 
एक सोच हैं 
और सोच का क्या 
जब देखो मन में उमड़ घुमड़ 
आ जाती हैं 
मेरी नींद की मुंडेर पर उगी बाड़ 
तेरी यादों की बकरी 
कुछ खा जाती है 
मैं भूलूँ या याद रखूँ 
इसकी मेरे अंतर्मन को खबर नहीं 
जैसे पड़ोसन न चाहो 
गप्पों का गुच्छा सुना जाती है 
ऐसे ही याद  तेरी इक  आ जाती है
मन को बहका जाती है।  #opium

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