Thursday, October 5, 2017

न उम्मीदें थीं न चिराग थे 
हम उन अंधेरों से निकल के आये हैं 
ये रौशनी के बुलबुले
ये ज़िन्दगी  के साये हैं 
तुम गैरों के दर्द से घायल हो 
हमने अपनों से ज़ख्म खाये हैं 

#ओपियम 

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