Tuesday, December 27, 2016

हीरा कब कहता है वो लाख टके  का है 
पर हुज़ूर उसे जुबां देके देखिये 
ऐसे तो कूड़ा भी नहीं कहता शून्य टका मेरा मोल
टमाटर भी नहीं कहते 20 रुपया मेरा मोल 
तो हीरा ही नहीं कहता इसमें क्या कमाल अरे सब निर्जीव वस्तुवें कहाँ कुछ कह सकती है ?  
आशय ये है मुंह में जुबां और दिल में अकड़ हो 
तो बोलते रहो और दूसरों को खरीद लो वो भी बोलते रहेंगे आपके लिए 

 समझदार तो सदा राज़ी हैं 
मुझ जैसे मूर्खों को ही तर्क ढूंढने होते हैं नियमों से फारिग होने के लिए 

No comments: