हीरा कब कहता है वो लाख टके का है
पर हुज़ूर उसे जुबां देके देखिये
ऐसे तो कूड़ा भी नहीं कहता शून्य टका मेरा मोल
टमाटर भी नहीं कहते 20 रुपया मेरा मोल
तो हीरा ही नहीं कहता इसमें क्या कमाल अरे सब निर्जीव वस्तुवें कहाँ कुछ कह सकती है ?
आशय ये है मुंह में जुबां और दिल में अकड़ हो
तो बोलते रहो और दूसरों को खरीद लो वो भी बोलते रहेंगे आपके लिए
समझदार तो सदा राज़ी हैं
मुझ जैसे मूर्खों को ही तर्क ढूंढने होते हैं नियमों से फारिग होने के लिए
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