Friday, February 13, 2015


वो शख्स कोई और था जो करीब था हर पल मेरे 
बिन बात मुँह फूलना अब लगता हैं चाहते नहीं बस जानते हैं 
तेरे त्यौहार सब  मनाये हैं मैंने तोहफे  सब खरीद के रक्खे हैं 
तेरे रूठ के हटने  तक मेरे पास  ये तेरी अमानतें हैं 
सोचना कितना हम एक दूजे को जानते पहचानते हैं 
ये रिश्ता क़ैद है , ये रूठना जैसे जमानतें हैं 

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