Sunday, July 13, 2014

सोच रहा हूँ 
इस जीवन में 
क्या खोया 
क्या पाया है 
जीवन की धुंध में 
देखा 
कभी कभी सच सा 
लगता है 
कभी लगे है 
माया है। 
बचा लिया तो 
जीवन है 
छूट गयी वो 
काया है 
जब बाँध चलेगा 
बंजारा उस दूर 
सफर पर 
न संग चलेगा कोई 
न कोई साथ कभी किसीके आया है 
माणिक्य बिखरे हुए थे 
हर पग 
मन कंकड़ बीन पछताया है 
सोच रहा हूँ 
इस जीवन में 
क्या खोया है 
क्या पाया है 

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