सोच रहा हूँ
इस जीवन में
क्या खोया
जीवन की धुंध में
देखा
कभी कभी सच सा
लगता है
कभी लगे है
माया है।
बचा लिया तो
जीवन है
छूट गयी वो
काया है
जब बाँध चलेगा
बंजारा उस दूर
सफर पर
न संग चलेगा कोई
न कोई साथ कभी किसीके आया है
माणिक्य बिखरे हुए थे
हर पग
मन कंकड़ बीन पछताया है
सोच रहा हूँ
इस जीवन में
क्या खोया है
क्या पाया है
No comments:
Post a Comment