ग़म के बादल छटने का आसार न था
खुशियाँ ढूँढने आईं भी तो उस दिन
जब मैं बेक़रार न था ….
झटके अब नहीं आते ज़िन्दगी में उतने
जितने तब मिले जब मैं तैयार न था
वो मौज वो दरिया वो नाव
सब क्या खूब दिख रहे थे
उसमे क्यूं कोई सवार न था
वो सपने जिन्हें देख के बड़ा होता है बचपन
बड़ा हो के मालूम हुआ ऐसा तो कोई संसार न था
ऐसा तो कोई संसार न था.
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