Friday, August 9, 2013

Duniya

ग़म के बादल छटने का  आसार न था 
खुशियाँ ढूँढने आईं भी तो उस दिन 
जब मैं बेक़रार न था …. 
झटके अब नहीं आते ज़िन्दगी में उतने 
जितने तब मिले जब मैं तैयार न था 
वो मौज वो दरिया वो नाव 
सब क्या खूब दिख रहे थे 
उसमे क्यूं कोई  सवार न था 
वो सपने जिन्हें  देख के बड़ा होता है बचपन 
बड़ा हो के मालूम हुआ ऐसा तो कोई संसार न था 
 ऐसा तो कोई संसार न था. 

No comments: